राजस्थानी फैशन डिजाइनर : 8वीं तक पढ़ी रूमा देवी ने बदली 22000 महिलाओं की जिंदगी

बाड़मेर की रहने वाली रूमा देवी की 17 वर्ष की उम्र में शादी हो गई थी। रूमा देवी ने बाड़मेर के तीन जिलों के 75 गांव में 22000 महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता दिलाई और उन 22000 महिलाओं का आत्मनिर्भर बना चुकी हैं। रूमा के कारण बाड़मेर, बीकानेर और जैसलमेर की ये महिलाएं आत्मनिर्भर बनकर खुद के पैर पर खड़ी हो गई हैं। रूमा देवी को 2018 में नारी शक्ति पुरस्कार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिया। 8वीं पास रूमा उस नारी शक्ति का नाम है जिसने न सिर्फ गांव, जिले और प्रदेश में पहचान बनाई बल्कि अपनी काबिलियत के दम पर अमेरिका की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी तक पहुंचीं। कशीदे (Embroidery) से शुरूआत करने वाली रूमादेवी बड़े-बड़े डिजाइनर्स के साथ देश-विदेश में फैशन शो (Fashion show) कर चुके हैं।

NameRuma devi
Date of BirthYear 1989
BirthplaceRawsar, Barmer (Rajasthan)
Qualification8th Class dropout
ReligionHindu
Profession Fashion Designer
NationalityIndian

रूमा देवी की जीवनी :

बाड़मेर जिले के रावतसर गांव में जन्मी रूमा देवी (Ruma Devi) एक गरीब किसान परिवार से है। रूमा देवी की सात बहने हैं। जब रूमा देवी 4 वर्ष की थी तो उनकी मां का देहांत हो गया था। फिर पिताजी ने दूसरी शादी कर ली और रूमा देवी को चाचा के पास छोड़ दिया। जब रूमा आठवीं क्लास में पहुंची, तो चाचा-चाची ने पढ़ाई छुड़वा कर घर के काम में लगा दिया। दादी मां कशीदाकारी करती थी, इसलिए वह भी यह काम अच्छी तरह से सीख गई। घर के काम के साथ साथ रूमा को 10 किलोमीटर दूर से बैलगाड़ी में पानी लाना पड़ता था। 17 वर्ष की उम्र में शादी होने के 2 साल बाद बच्चा हुआ, लेकिन 48 घंटे के बाद उस बच्चे की मौत हो गई। वह बच्चा कमजोर था और इलाज कराने के लिए पैसे नहीं थे। बच्चे की मौत ने रोमा को अंदर से पूरी तरह झकझोर दिया था। रूमा ने तय कर लिया कि वह अब चूल्हे चौके में जिंदगी खपाने के बजाय दो पैसे कमाने के लिए काम की शुरुआत करेगी।

यहां से हुई सफलता की शुरुआत :

रूमा को समझ नहीं आ रहा था की शुरुआत कहां से करूं? फिर रूमा ने एक पुरानी सिलाई मशीन खरीदी और छोटे छोटे बैग बनाने लगी। मटेरियल लाती थी और फिर बैग बनाकर दुकानों पर सप्लाई करने जाती थी। घर के काम के साथ-साथ बैग बनाने के लिए अकेले ही संघर्ष करती रही। जब कुछ महीनों के बाद बैग की मांग बढ़ने लगी तो फिर रूमा ने मोहल्ले की अन्य महिलाओं को अपने साथ जोड़ना शुरु किया, और जब इन महिलाओं को भी कुछ रुपए मिलने लगे तो वह मन से काम करने लगी।

दीप देवल महिला स्वयं सहायता समूह का गठन :

काम बढ़ने लगा तो 2008 में रुमा ने 10 महिलाओं के साथ “ दीप देवल महिला स्वयं सहायता समूह” का गठन किया। उस समय भी रुमा के पास इतने पैसे नहीं थे, कि ज्यादा मटेरियल ख़रीद सकती थी। इधर उधर से उधार लेकर बैग बनाती और फिर उधार चुका देती थी। यह सिलसिला कई महीनों तक चला। रूमा जहां रहती थी उनके एरिया में “ग्रामीण विकास चेतना संस्थान” का कार्यालय है। फिर रूमा वहां गई और हस्तशिल्प के लिए सहयोग मांगा। इस पर वहां के अध्यक्ष ने कुछ सैंपल बनाकर दिखाने को कहा। तब रूमा ने अन्य महिलाओं के साथ कई दिनों तक सैंपल तैयार किए। और जब उन्हें यकीन हो गया कि हम अच्छा काम कर सकते है तो फिर रूमा को पहला आर्डर मिला।

साल 2010 के अंत तक 5000 महिलाओं को जोड़ा :

रूमा ने लगातार महिलाओं को अपने साथ जोड़ने के लिए कच्ची बस्ती की महिलाओं को हस्तकला सिखाने लगी। 2 वर्ष में 2010 तक रूमा ने करीब 1500 महिलाओं को हस्तकला के कई पैटर्न सिखा कर अपनी संस्था से जुड़ा। रूमा का व्यवहार देख सभी महिलाओं ने रूमा को अपना अध्यक्ष चुन लिया। साल 2010 के अंत तक उन्होंने लगभग 5,000 महिला कारीगरों को अपने संगठन से जोड़ दिया।

नेगेटिव रिस्पांस मिलने पर भी हार नहीं मानी, फिर रिकॉर्ड बनाया :

अपनी कला के सिलसिले में जब रूमा को पहली बार फैशन शो देखने दिल्ली जाने का मौका मिला। वहां जाकर रूमा को पता चला कि हम लोग अभी भी कितने पीछे हैं। तब बाड़मेर की हस्तकला को कोई नहीं जानता था। अपने हुनर को पहचान दिलाने के लिए रूमा, कॉटन की साड़ियों के साथ अन्य कपड़ों पर कशीदाकारी करना शुरू किया। राजस्थान हेरिटेज वीक में पहली बार फैशन शो करने जयपुर पहुंची, वहां पर जितनी भी बड़े बड़े नामी फैशन डिजाइनर थे। वहां पर रूमा उन सभी से मिली। लेकिन वहां पर रूमा को नेगेटिव रिस्पांस पहुंच मिला।

नेगेटिव रिस्पांस मिलने के बाद रूमा ने 1 महीने में अपने फिर से नए प्रोडक्ट तैयार किए और फिर बाड़मेर फैशन लिबास में अपना फैशन शो किया। इस फैशन शो में घुंघट में रैंप वॉक किया तो लोगों की तालियां रुक ही नहीं रही थी यह रूमा पहली सफलता थी।

रूमा की कशीदाकारी देखकर विदेशी डिजाइनर भी अचंभित :

रूमा को राजस्थान स्थापना दिवस पर जयपुर में हुए मेगा-शो में प्रदर्शन करने का मौका मिला। उस कार्यक्रम को 112 देशों में लाइव (Live) दिखाया गया था । रूमा वह रूमा की अन्य सहयोगी महिला ने खुद की बनाई, कसीदा की हुई पारंपरिक, रंग-बिरंगी वेषभूषा में जब रैंप वॉक किया तो लोग देखते रह गए। राजस्थानी वेशभूषा को इस रूप में विदेश में पहली बार देखा जा रहा था। इसका फायदा यह हुआ कि रूमा को कई फैशन डिजाइनरों से ऑर्डर मिलने लगी। इसी बीच जर्मनी के टेक्सटाइल शो में भी जाने का मौका मिला तो रूमा (Ruma) को यकीन नहीं हो रहा था कि जिसने आठवीं की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी हो वह विदेश जा रही थी। टेक्सटाइल शो के दौरान जब रूमा का नंबर आया तो रूमा सुई धागा लेकर अपना हुनर दिखाने लगी, रूमा की कशीदाकारी देखकर विदेशी डिजाइनर अचंभित रह गए।

रुमा को अपने काम की बदौलत सरकार वह विदेशों से ढेर-सारे अवार्ड मिल चुके हैं। रुमा ने बाड़मेर की कला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है। लंदन, सिंगापुर, जर्मनी और कोलंबो में हुए फैशन वीक में रुमा अपने प्रोडक्ट का प्रदर्शन कर चुकी है।

आज 22000 से ज्यादा महिलाओं का विशाल समूह :

बाड़मेर की बेटी Ruma devi को हस्तशिल्प के क्षेत्र में किए गए कार्यों के लिए एक मिसाल माना जाता है। आज रुमा के साथ 22000 से ज्यादा महिलाओं का विशाल कारवाँ है और रूमा देवी ने साधारण कपड़ों पर अपनी कड़ी मेहनत से रंग-बिरंगे धागों से जो स्वर्णिम इमारत बनाई तो वह देश ही नहीं दुनिया पर छा गई। वर्ष 2008 में महज 10 महिलाओं के साथ का सफर आज 22,000 महिलाओं के रूप में दुनिया के सामने है।

रूमा का कहना है कि चाहे वह पढ़ लिख नहीं पाई, लेकिन कुछ पाने की जिद ने मुझे सफल बनाया है।”

Awards & honours :

  • Nari Shakti Puraskar (2018)
  • Shilpa Abhimani Award by the Govt of Sri Lanka: Promotion of handicrafts
  • Honour by Women on Wings Netherlands (2016)
  • World CSR Congress (2019) : 51 Most impactful innovators (A Global Listing)

यह भी पढ़े :-

दोस्तों “राजस्थानी फैशन डिजाइनर : 8वीं तक पढ़ी रूमा देवी ने बदली 22000 महिलाओं की जिंदगी” ये Article आपको कैसा लगा, हमें कमेंट में जरूर बताइए, और दोस्तों जहां भी Possible हो WhatsApp, Facebook, Google+ पर अपने दोस्तों और फैमिली के साथ शेयर करें, दोस्तों “रूमा देवी ने बदली 22000 महिलाओं की जिंदगी” को पढ़ने के लिए nikhilvijayvargiya.com – motivation ka house की तरफ से आपको धन्यवाद!!

दोस्तों यदि आपके पास Hindi मैं कोई Article, Biography, Inspiring Poem, Motivational story, Moral story, Hindi Quotes, या फिर कोई और जानकारी है और यदि आप हमारे साथ शेयर करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ ईमेल करें। हमारी E-mail ID: admin@nikhilvijayvargiya.com। यदि आपकी पोस्ट हमें पसंद आती है तो हम उसे आपके नाम के साथ अपने ब्लॉग पर Publish करेंगे । Thankyou!!

Nikhil Vijayvargiya

This Nikhil Vijayvargiya. A Motivational Blogger.

8 Comments

  • Great Content!!
    Proud of ruma devi.

  • यह आर्टिकल बहुत अच्छा लिखा है और आपकी वेबसाइट मैं पढ़ने का अच्छा कंटेंट है।

    Thanks to @motivation ka house

  • Very Nice Biography

  • This is very nice line.. “रूमा का कहना है कि चाहे वह पढ़ लिख नहीं पाई, लेकिन कुछ पाने की जिद ने मुझे सफल बनाया है।”

    Very Nice.. Thankyou

  • Great to know about Ruma Devi, where the critical atmosphere in Rajasthan she brings into the county for motivating the women of the society.

  • Very nice ..

  • Nikhil Vijayvargiya

    (May 27, 2020 - 1:32 am)

    Thank you for reading this content and you encouraged us by commenting, thank you very much for that.

  • अविनाश

    (May 28, 2020 - 8:54 am)

    यह आर्टिकल बहुत बढ़िया तरह से लिखा हुआ है और आपकी वेबसाइट पर पढ़ने का बहुत ही अच्छा कंटेंट है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *