दुनिया भर में कोरोना वायरस महामारी के चलते दुनिया के अधिकतर देशों में लॉकडाउन हो रखा है और साथ ही पूरे भारत में भी लॉकडाउन है। इस lock-down के कारण देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर (automobile sector) को भारी नुकसान होने का अनुमान है। वाहन उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है की लॉक डाउन के चलते देशभर में वाहन फैक्ट्रियों को बंद रखने से करीब 100000 करोड रुपए से अधिक का घाटा हो सकता है। कोरोनावायरस का प्रसार रोकने के लिए 25 मार्च से 17 मई तक संपूर्ण भारत में लोग डाउन लागू हो रखा है। हालांकि, वाहन कंपनियों को उम्मीद है lock-down हटने के बाद एक बार फिर से फैक्ट्री में उत्पादन में तेजी आएगी। इसके बावजूद इस पूरे साल में घाटे की भरपाई करना मुश्किल होगा।
वाहनों की गिरती बिक्री का ग्राफ कार निर्माताओं के लिए चिंता का एक प्रमुख कारण है। लेकिन अप्रैल के महीने में तो वाहनों की बिक्री का खाता भी नहीं खुला है। इससे पता चलता है कि कोरोना वायरस महामारी ने भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को कितनी बुरी तरह से प्रभावित किया है। देश में 24 मार्च को लॉकडाउन के एलान के बाद 25 मार्च से पूरे देशभर में लॉकडाउन जारी है।
बॉस्टन कॉलेज में काउंसिलिंग मनोविज्ञान के प्रोफ़ेसर और ‘द इंपोर्टेन्स ऑफ वर्क इन अन एज ऑफ अनसर्टेनिटी : द इरोडिंग वर्क एक्सपिरियन्स इन अमेरिका’ क़िताब के लेखक डेविड ब्लूस्टेन कहते हैं, “बेरोज़गारी की वैश्विक महामारी आने वाली है, मैं इसे संकट के भीतर का संकट कहता हूँ।”
Main-Highlight
- लॉकडाउन की वजह से देश की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को 1 लाख करोड़ का घाटा (Loss)।
- इसके कारण सरकार को भी हजारों करोड़ रुपये के राजस्व (Revenue) का होगा नुकसान।