आनंद कुमार एक भारतीय गणितज्ञ, शिक्षक और विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय गणित पत्रिकाओं के लिए लेखक है |
संन 2000 में आनंद के पास एक बच्चा आया जो की अपनी गरीबी की वजह से IIT entrance exam की तैयारी नहीं कर सकता था | इस बच्चे से आनंद को Super 30 संस्थान खोलने का मोटिवेशन मिला | और इसी Super 30 ने आनंद को पुरे दुनिया मै फेमस कर दिया और आनंद की पूरी दुनिया में एक नयी पहचान बनी । तो आइये इसी Super 30 इंस्टिट्यूट और आनंद कुमार के जीवन बारे में जानते है |
Anand Kumar Biography in Hindi
व्यक्तिगत जानकारी : Personal Information
नाम | आनंद कुमार |
उपनाम | सुपर 30 मैन |
काम | शिक्षक |
जन्म तारीख | 01 जनवरी 1973 |
जन्म स्थान | पटना |
नागरिकता | भारतीय |
पिता | नाम ज्ञात नहीं (भारतीय डाक विभाग में क्लर्क) |
माता | जयंती देवी |
पत्नी | ऋतू रश्मि |
स्कूल | पटना हाई स्कूल, पटना, बिहार |
कॉलेज | बिहार नेशनल कॉलेज (बी एन कॉलेज) पटना, बिहार |
क्या है सुपर 30 :
Super30 एक ऐसी कोचिंग क्लास है जो गरीब बच्चो को फ्री ऑफ़ कॉस्ट IIT की entrance exam की तैयारी करवाती है | ये कोचिंग क्लास हर साल मई मै एक competative exam organise करवाती है और उसमे से 30 सबसे टैलेंटेड बच्चों को सिलेक्ट किया ज्याता है, और उन बच्चों को फ्री (Free) मै IIT की कोचिंग दी जाती है | इन बच्चों के लिए आनंद कुमार की माँ जयंती देवी खाना पकाती है और आनंद पढाई लिखाई से जुड़े दूसरे काम देखते है । सिलेक्ट हुये बच्चों को एक साल फ्री मै होस्टेल मै रहने की सुविधा उपलब्ध करवाते है | आनंद के भाई प्रणव इस कोचिंग के मैनेजमेंट को देखते है | 2003 से लेकर 2017 तक आनंद ने पढाये हुये 450 बच्चों मै से 391 बच्चों का सिलेक्शन IIT मै हुआ । आज पूरे देश में आनंद कुमार को सुपर 30 मैन के नाम से भी जाना जाता है |
Ab Raja ka Beta Raja Nahi Banega… Ab Raja Wahi Banega Jo HAQDAAR Hoga -Super 30
आनंद कुमार का जन्म और शिक्षा :
आनंद कुमार (Anand kumar) का जन्म 1 जनवरी 1973 को पटना में हुआ था, इनके पिता पोस्ट ऑफिस में क्लर्क (Clerk) की नौकरी करते थे | इनकी पिताजी की Financial Condition अच्छी ना होने के कारण वह अपने बच्चों को अच्छी स्कूल में शिक्षा नहीं दे सकते थे, इसलिए इनकी शिक्षा पटना की एक सरकारी हिंदी मीडियम स्कूल में संपन्न हुई, इनकी स्कूल का नाम पटना हाई स्कूल था |
आनंद का शुरुआती समय से ही गणित (Maths) की तरफ अधिक रुझान था, ग्रेजुएशन के दौरान इन्होने संख्या सिद्धांत (number theory) पर कुछ पेपर सबमिट किये, जिसे मैथमैटिकल स्पेक्ट्रम और द मैथमैटिकल गज़ट में प्रकाशित किया गया |
आनंद कुमार का शुरुआती सफर :
आनंद कुमार को अपनी मेहनत और प्रतिभा के दम पर कैंब्रिज विश्वविद्यालय में पढ़ने का मौका मिला, लेकिन अपनी परिवार की पारिवारिक स्थिति सही नहीं होने के कारण वह कैंब्रिज विश्वविद्यालय में दाखिला नहीं ले सके, यहां तक कि उनके परिवार के पास आनंद को कैंब्रिज भेजने जितना भी पैसा नहीं था | इसी दौरान उनके पिता का 3 अगस्त, 1994 को हार्ट अटैक के चलते निधन हो गया जिससे वो पूरी तरह टूट चुके थे लेकिन अपना हौसला नही हारे थे, और संघर्ष करते है |और पिताजी के निधन के बाद, अपने पिता के स्थान पर डाक विभाग में नौकरी करने का अवसर आया, लेकिन उस नौकरी के लिए आनंद ने मना कर दिया |
आनंद कुमार का कहना है कि सब कुछ उनकी सोच के विपरीत हो रहा था, लेकिन उन्होंने तय किया कि ‘अगर नौकरी कर लूंगा तो गणित में प्रतिभा दिखाने का मौका नहीं मिल पाएगा.’ आर्थिक तंगी के कारण उनकी मां आजीविका के लिए घर में पापड़ बनती थी और आनंद तथा उनके भाई (प्रणव कुमार ) साइकिल चलाकर घर-घर जाकर पापड़ बेचने लगे, और इसी के साथ एक्स्ट्रा इनकम के लिए अन्य छात्रों को गणित पढ़ाते थे ताकि खुद का खर्चा निकाल सके |
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पहचान (Recognition) :
- आनन्द कुमार को सब से मुख्य अवार्ड राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द द्वारा “राष्ट्रीय बाल कल्याण पुरस्कार” प्रदान किया गया |
- मार्च 2009 में डिस्कवरी चैनल ने सुपर 30 पर लगभग 2 घंटे तक का एक कार्यक्रम दिखाया और इसी वर्ष अमेरिकी समाचारपत्र The New York Times ने आनंद कुमार के बारे में लेख लिखा, जिससे उन्हें पहचान मिली । अभिनेत्री व् पूर्व मिस जापान नोरिका फुजिवारा पटना आयीं तथा उन्होंने आनन्द कुमार के कार्यों पर एक Documentary फ़िल्म बनायी |
- जैसे जैसे आनंद की पहचान और अनुभव का दायरा बढ़ता गया, इस के बाद भारतीय प्रबंध संस्थान, कई आईआईटी, टोक्यो विश्वविद्यालय, ब्रिटिश कोलम्बिया विश्विद्यालय, और स्टेनफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में आनंद कुमार को स्पीच देने के लिए बुलया गया |
- आर्थिक रूप से कमजोर बच्चो को Free of cost शिक्षा देने और आईआईटी (IIT) जैसे बड़े संस्थानों में प्रवेश दिलाने के कारण लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी उनका नाम दर्ज हुआ |
- सन 2010 में आनंद कुमार को इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च एंड डॉक्यूमेंटेशन इन सोशल साइंसेज (आईआरडीएस) की तरफ़ से ‘रामानुजन अवार्ड’ दिया गया था |
- Time magazine ने सुपर 30 संस्थान को बेस्ट ऑफ़ एशिया 2010 की सूची में भी स्थान दिया |
प्रयास और सफलता के बीच में एक ही नंबर का फर्क होता है – Super30
आनंद कुमार से जुड़े कुछ तथ्य :
- आनंद कुमार ने छोटी उम्र में ही गणित विषय में रुचि विकसित की और केवल गणित के क्षेत्र में कुछ करने के लिए अपना मन बना लिया।
- सन 1994 में, उन्हें कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश मिला लेकिन उनके पिता की मृत्यु के बाद वित्तीय संकट के कारण वह कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय नहीं जा सके ।
- सुपर -30 का विचार उसके दिमाग में जब आया जब उन्होंने सन 2000 में आर्थिक रूप से कमजोर छात्र की मदद की जो अपने आईआईटी-जेईई कोचिंग के लिए फीस नहीं दे सकता था ।
- 2010 में, उन्हें बिहार सरकार का शीर्ष पुरस्कार दिया गया, “मौलाना अबुल कलाम आजाद शिक्षा पुरस्कार।”
- 2017 में, उन्होंने अमिताभ बच्चन द्वारा आयोजित “कौन बनगा करोड़पति” सीजन 9 में दिखाई दिए। जिसमें इन्होने ने 25 लाख रुपये भी जीते |
आइये जानते है एक ऐसे स्टूडेंट्स की कहानिया जिनकी जिंदगी Super 30 के माध्यम से पूरी तरह बदल गयी ।
संतोष कुमार, Super 30 student Story:
संतोष पटना से लगभग 40 किलोमीटर दूर एक छोटे से गॉव मे रहता था | संतोष के घर मै इतनी गरीबी थी की उनको दो टाइम का खाने की दिक्कते रहती थी | लेकिन संतोष के मन मै पढाई के प्रति रूचि थी और वो आगे पढ़ता गया, गावं के सरकारी स्कूल की हालत इतनी बुरी थी की उसके दरवाजे-खिड़की भी लोग चुराकर ले गये थे | कोई भी टीचर वहा पढ़ने नहीं आता था पर इसके बावजूद संतोष ने वहां से अपनी दसवी तक की पढाई पूरी की ।
उसके बाद संतोष ने IIT के बारे मैं सुना और उसके मन में IIT में पढ़ने की इच्छा जागृत हुई और वो पटना शहर चला आया । वहा पर वह बहुत जगहों पर गया और उनसे पढने के लिए मदद मागी पर किसी ने उसकी मदद नहीं की, फिर उसको सुपर 30 के बारे में पता चला और वो वहां पहुच गया | सुपर 30 में उसको पढने का मौका मिला और उसके ठीक 2 साल बाद वो IIT मै सिलेक्ट हो गया और इतना नही आज संतोष की परिस्थिति बदल गयी है और आज संतोष यूरोप मै केमिस्ट्री का प्रोफेसर है |
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2 Comments
Harshad Rohila
(July 30, 2019 - 11:53 am)Inspirational story of Anand Kumar super 30…
Good Content…
Nikhil Vijayvargiya
(May 27, 2020 - 1:40 am)Thank you for reading this content and you encouraged us by commenting, thank you very much for that.