सोच का फर्क – Moral Story in Hindi

दोस्तों आज मैं आपके साथ Share कर रहा हूँ एक ऐसी छोटी सी कहानी जो आपको “सोच का फर्क” बताएगी, सोच का फर्क हमारे जीवन मैं बहुत मह्त्वपूणॅ है और साथ ही सही सोच और नजरिया के कारण कैसे एक सज्जन व्यक्ति ने एक बहुत धनी सेठ की बड़ी परेशानी का आसानी से हल निकाला, तो आइए दोस्तों इस Moral Story को ध्यान से पढ़िए |

Nikhil Vijayvargiya

 Change Your Attitude and Perspective – Moral Story

एक शहर में एक धनी व्यक्ति रहता था, उस व्यक्ति के पास काफी पैसा था और इतना पैसा होने के कारण उसे अपने आप पर बहुत घमंड था | एक बार किसी कारण से उसकी आंखों में इंफेक्शन (Infection) हो गया | इंफेक्शन के कारण उस व्यक्ति की आंखों में बहुत ज्यादा जलन होती थी, तभी वह डॉक्टर के पास गया लेकिन डॉक्टर उसकी इस बीमारी का इलाज नहीं कर पाए | उस सेठ मतलब कि उस धनी व्यक्ति के पास काफी पैसा होने के कारण उसने विदेश (Foreign) से डॉक्टर बुलवाएं|

विदेश से आए एक बड़े डॉक्टर ने उस सेठ की आँखे चेक करी और बताया कि आपकी आंखों में एलर्जी है | आपको कुछ दिन तक सिर्फ हरा रंग ही देखना होगा, अगर आप कोई और रंग, मतबल की दूसरा रंग देखेंगे तो आपकी आंखों को परेशानी होगी | सेठ के पास इतना पैसा होने के कारण उसने बिना कुछ सोचे समझे बड़े-बड़े पेंटर को बुला लिया और पूरे महल को हरे रंग से रंगने के लिए कहा | और उस सेठ ने सभी पेन्टर से कहा मुझे हरे रंग के अलावा कोई और रंग नहीं दिखना चाहिए, मैं जहां भी जाऊं और जहां से भी गुजरू, हर जगह हरा रंग कर दो |

इस काम में बहुत सारा पैसा खर्च हो रहा था लेकिन फिर भी सेठ की नजर किसी अलग रंग पर पड़ ही जाती थी क्योंकि पूरे नगर को हरे रंग से रंगना संभव ही नहीं था, और वह सेठ दिन प्रतिदिन पेंट कराने के लिए पैसा खर्च करता जा रहा था | तभी अचानक से उसी शहर का एक सज्जन पुरुष वहा से गुजर रहा था, उसने चारों तरफ हरा रंग देखकर लोगों से इस रंग का कारण पूछा | तब वहां के लोगों ने उस सज्जन पुरुष को सभी जगह हरे रंग रंगने का कारण बताया |

लोगों की सारी बातें सुनकर वह सज्जन पुरुष तुरंत सेठ के पास गया और बोला सेठ जी आपको इतना पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं है, मेरे पास आपकी परेशानी का एक छोटा सा हल है…. फिर सेठ ने उस सज्जन पुरुष से कहा बताओ, क्या हल है इसका? सज्जन पुरुष ने कहा, आप हरा चश्मा क्यों नहीं खरीद लेते फिर सब कुछ हरा हो जाएगा, सब कुछ हरा ही दिखाई देगा |

सेठ की आंखें खुली की खुली रह गई उसके दिमाग में यह शानदार विचार आया ही… नहीं बेकार में इतना पैसा खर्च किए जा रहा था, फिर उस सेठ ने उस सज्जन व्यक्ति का शुक्रिया किया और कहा मैंने बेकार में ही इतना पैसा खर्च कर दिया|

तो दोस्तों इस छोटी सी कहानी से हमें यह सीख मिलती है, इस जीवन में हमारी सोच और देखने के नजरिए पर भी बहुत सारी चीजें निर्भर करती है, कई बार हमारे साथ ऐसा होता है कि परेशानी का हल बहुत आसान होता है लेकिन फिर भी हम उसी परेशानी में फंसे रहते हैं और परेशान होते रहते हैं | इसे ही कहते हैं सोच का फर्क |

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Nikhil Vijayvargiya

This Nikhil Vijayvargiya. A Motivational Blogger.

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