चलते रहने की ज़िद – Motivational Story in Hindi

दोस्तों आज मैं आपके साथ शेयर कर रहा हूँ एक ऐसी कहानी जो आपके रोंगटे खड़े कर देगी जो आपके अंदर नया जोश और जूनून पैदा कर देगी तो इसे ध्यान से पढ़िए

Nikhil Vijayvargiya

हार देखी है, जीतना बाकी है, बस अब लड़ना मुझे है,
खुद से जीतने की जिद है, मुझे किसी को नहीं खुद को ही हराना है,
नहीं हूं मैं इस दुनिया की भीड़ में, मेरे अंदर ही बसा एक जमाना है !!

दोस्तों यदि इस दुनिया में कुछ भी पाना है तो आपको जिद्दी बनना पड़ेगा.. ऐसे ही एक ज़िद्दी लड़के की कहानी जिसका नाम था विराट.. वह पिछले तीन-चार सालों से अपने शहर में होने वाली मैराथन में हिस्सा लेता था…लेकिन कभी भी उसने अपनी रेस पूरी नहीं की थी.

लेकिंन इस बार वह बहुत उत्साहित (excited) था. क्योंकि पिछले 3-4 महीनों से वह रोज सुबह उठकर दौड़ने की प्रैक्टिस कर रहा था और उसे अपने आप पूरा पर भरोसा था कि वह इस साल की मैराथन रेस (Marathon Race) ज़रूर पूरी कर लेगा,

देखते ही देखते मैराथन का वो दिन भी आ गया और सभी लोग एक जगह एकत्रित हुए और जैसे ही रेस शुरू हुई बाकी लड़को की तरह विराट ने भी दौड़ना शुरू किया |

वह जोश और हिम्मत से भरा हुआ था, और बड़े अच्छे ढंग से दौड़ रहा था. लेकिन आधी रेस पूरी करने के बाद विराट बिलकुल थक- सा गया और उसके मन में आया कि बस अब वहीं बैठ जाए… वह ऐसा सोच ही रहा था कि तभी उसने खुद को कहा

रुको मत विराट! आगे बढ़ते रहो…अगर तुम दौड़ नहीं सकते, तो कम से कम जॉगिंग करते हुए तो आगे बढ़ सकते हो…तो बस आगे बढ़ो…

और विराट अब पहले की अपेक्षा धीमी गति से आगे बढ़ने लगा | कुछ किलोमीटर इसी तरह दौड़ने के बाद विराट को लगा कि उसके पैर अब और आगे नहीं बढ़ सकते, वह लड़खड़ाने लगा, विराट के अन्दर विचार आया, अब बस…और नहीं बढ़ सकता! लेकिन एक बार फिर विराट ने खुद को समझाया!!

रुको मत विराट …अगर तुम जॉगिंग नहीं कर सकते तो क्या… कम से कम तुम चल तो सकते हो….तो बस चलते रहो, विराट अब जॉगिंग करने की बजाय धीरे-धीरे लक्ष्य की ओर बढ़ने लगा|

कई सारे लड़के विराट से आगे निकल चुके थे और जो पीछे थे वे भी अब आसानी से उसे पार कर रहे थे, विराट उन्हें आगे जाने देने के अलावा कुछ नहीं कर सकता था | चलते-चलते विराट को फिनिशिंग पॉइंट दिखने लगा, लेकिन तभी वह अचानक से लड़खड़ा कर गिर पड़ा… उसके दाये पैर की नसें खिंच गयी थीं |

जमीन पर पड़े-पड़े विराट के मन में ख़याल आया.. की अब मैं आगे नहीं बढ़ सकता, लेकिन अचानक से अगले पल ही वो जोर से चिल्लाया |

आज चाहे कुछ भी हो जाये.. मैं ये रेस पूरी करके रहूँगा…ये मेरी ज़िद है…माना मैं चल नहीं सकता लेकिन लड़खड़ाते ही सही लेकिन इस रेस को पूरी ज़रूर करूँगा |

विराट ने साहस दिखाया और एक बार फिर दर्द सहते हुए आगे बढ़ने लगा, और इस बार वह तब तक बढ़ता रहा जब तक उसने फिनिशिंग लाइन पार नहीं कर ली | और फिनिशिंग लाइन पार करते ही वह जमीन पर लेट गया उसके आँखों से आंसू निकलने लगे…

विराट ने रेस पूरी कर ली थी, उसके चेहरे पर इतनी ख़ुशी और मन में इतनी संतुष्टि कभी नहीं आई थी आज विराट ने अपने चलते रहने की ज़िद के कारण न सिर्फ एक रेस पूरी की थी बल्कि ज़िन्दगी की बाकी रेसों के लिए भी खुद को तैयार कर लिया था..

तो दोस्तों, चलते रहने की ज़िद हमें किसी भी मंजिल तक पहुंचा सकती है… मुश्किलों के आने पर हार मत मानिए
ना चाहते हुए भी कई बार Conditions ऐसी हो जाती हैं कि आप बहुत कुछ नहीं कर सकते, पर ऐसी कंडीशन को “कुछ भी ना करने” का बहाने (excuse) मत बनाइए|

घर में मेहमान हैं आप 6 घंटे नहीं पढ़ सकते, तो कोई बात नहीं 2 घंटे तो पढ़िए !
बारिश हो रही है…मान लीजिये आप 20 कस्टमर्स से नहीं मिल सकते, कम से कम 4-5 कस्टमर से तो मिलिए !
एकदम से रुकिए मत,  थोड़ा-थोड़ा ही सही आगे तो बढ़ते रहिये..

जब आप ऐसा करेंगे तो विराट की तरह आप भी अपने ज़िन्दगी की रेस ज़रूर पूरी कर पायेंगे…और अपने अन्दर उस ख़ुशी उस संतुष्टि को महसूस कर पायेंगे जो सिर्फ चलते रहने की ज़िद से आती है |

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Nikhil Vijayvargiya

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