कुदरत का सबसे बड़ा तोहफा : The Greatest Gift

दोस्तों आज के इस लेख में कुदरत से मिला मनुष्य का सबसे बड़ा तोहफा (Greatest Gift) के बारे में हम पढ़ेंगे, और इसे सही तरीके से इस्तेमाल करके हम अपनी जिंदगी में कुछ भी हासिल कर सकते हैं… कुछ भी !!

दुनिया की सभी प्राणियों में मनुष्य शारीरिक रूप से सबसे कमजोर है | इंसान चिड़िया की तरह उड़ नहीं सकता, तेंदुए से तेज दौड़ नहीं सकता और बंदर की तरह पेड़ पर चढ़ नहीं सकता है | इंसान की आंख चील की तरह तेज नहीं होती, ना ही उसके पंजे और दांत जंगली बिल्ली की तरह मजबूत होते हैं | यदि इस नजरिए से देखा जाए तो एक इंसान बहुत लाचार और असुरक्षित होता है, क्योंकि एक छोटे से कीड़े के काटने से इंसान मर सकता है |

लेकिन कुदरत ने दुनिया के सभी प्राणियों में से इंसान को जो सबसे बड़ा तोहफा दिया है – वह है सोचने की क्षमता | इंसान अपना माहौल खुद बना सकता है, जबकि जानवरों को माहौल के मुताबिक चलना पड़ता है |

लेकिन दुख की बात यह है कि कुदरत के सबसे बड़ा तोहफा का पूरा इस्तेमाल बहुत कम लोग ही कर पाते हैं | कुदरत के इस सबसे बड़े तोफहे का इस्तेमाल जिन लोगों ने सही तरीके से किया है उन्होंने आज अपने क्षेत्र में सफलता के झंडे गाड़ दिए हैं |

जो लोग अपनी जिंदगी में असफल हो जाते हैं, वह असफल लोग दो तरह के होते हैं – वे जो करते तो है लेकिन सोचते नहीं, दूसरे वे लोग होते हैं जो सोचते तो है लेकिन कुछ करते नहीं | सोचने की क्षमता का इस्तेमाल किए बिना जिंदगी गुजारना ठीक वैसा ही है, जैसे कि बिना निशाना लगाए गोली दागना |

दोस्तों यहां पर मैं जिंदगी को एक उदाहरण से समझाता हूं – जिंदगी उस रेस्तरां (cafeteria) की तरह है जहां हमको खुद सर्विस करनी पड़ती है | वहां हम अपनी ट्रे खुद उठाते हैं, खाना choose करते हैं और उसका भुगतान करते हैं | अगर हम कीमत चुकाने को तैयार हैं, तो वहां से कोई भी चीज ले सकते हैं | अगर हम कैफेटेरिया में किसी के आ कर खाना परोसने का इंतजार करेंगे, तो इंतजार ही करते रह जाएंगे | और दोस्तों जिंदगी भी ठीक वैसी ही है | क्योंकि हम अपनी लाइफ में भी जिस चीज का भी चुनाव करते हैं, उसे पाने के लिए, कामयाब होने के लिए कीमत चुकानी पड़ती है |

जिंदगी की तुलना गीली मिट्टी से भी की जा सकती है, जिस तरह कुमार गीली मिट्टी को मनचाही रूप में ढाल सकता है, ठीक उसी तरह हम भी अपनी सही सोच और सच्ची मेहनत से जिंदगी को मनचाहा रूप दे सकते हैं |

और अंत में यही कहना चाहता हूं कि कुदरत का यह सबसे बड़ा तोहफा (Greatest Gift) सोचने की क्षमता का सही तरीके से नियमित रूप से इस्तेमाल करना चाहिए |

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Nikhil Vijayvargiya

This Nikhil Vijayvargiya. A Motivational Blogger.

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