Tokyo Olympic 2020 में भारत की शानदार शुरुआत हुई है। वेटलिफ्टर मीराबाई चानू (Mirabai Chanu) ने टोक्यो ओलंपिक खेलों के पहले दिन भारत को सिल्वर मैडल दिला दिया। उन्होंने 49 किलोग्राम वेट कैटेगरी में टोटल 202 किलो वजन उठाकर सिल्वर मैडल जीता। इस तरह देश को वेटलिफ्टिंग में 21 साल बाद ओलिंपिक मेडल मिला है।
मीराबाई चानू पहली भारतीय वेटलिफ्टर हैं, जिन्होंने ओलंपिक में रजत पदक जीता है। उनसे पहले कर्णम मल्लेश्वरी ने कांस्य पदक जीता था। ओलंपिक के इतिहास में मीराबाई सिल्वर जीतने वाली पीवी सिंधू के बाद दूसरी भारतीय महिला है।
लकड़ी का गठ्ठर उठाने के साथ पहचानी ताकत
मीराबाई चानू को महज 12 साल की उम्र में अपनी ताकत का अहसास हो गया था। मीराबाई का जन्म इम्फाल के नोंगपोक काकचिंग गांव में 8 अगस्त1994 को एक गरीब परिवार में हुआ था। मीराबाई के पांच भाई-बहन हैं, चूल्हा जलाने के लिए परिवार को लकड़ियां चुनकर लाना पड़ता था और मीराबाई बहुत आसानी से भारी-भारी लकड़ी के गठ्ठर को कंधे पर उठाकर ले आती थी लेकिन उसके भाई को इसमें कड़ी मशक्कत करनी पड़ती थी।
मीरा के ‘डिड नॉट फिनिश’ से चैंपियन बनने की कहानी
2016 Rio Olympics से ओलिंपिक चैंपियन बनने तक की उनकी कहानी काफी दिलच्सप रही है। 2016 में जब वह भार नहीं उठा पाई थीं, तब उनके नाम के आगे ‘डिड नॉट फिनिश‘ लिखा गया था। किसी भी प्लेयर का मेडल की रेस में पिछड़ जाना अलग बात है और Qualify ही नहीं कर पाना दूसरी बात है। डिड नॉट फिनिश के टैग ने मीरा का मनोबल तोड़ दिया था। इस हार से वे डिप्रैशन में गईं और उन्हें साइकेट्रिस्ट का सहारा लेना पड़ा।
2017 में वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में गोल्ड जीता
इसके बाद 2017 में मीरा ने 194 किलोग्राम वजन उठाकर world weightlifting champion (49 किलो वेट कैटेगरी) में गोल्ड जीता था। 22 साल में ऐसा करने वाली मीरा पहली भारतीय एथलीट बन गईं।
जीत के बाद मीराबाई ने मां को किया याद
जीत के बाद मीराबाई चानू ने कहा – कि मेरे लिए यह सपना सच होने जैसा है। मैं यह मेडल अपने देश के करोड़ों लोगों को डेडिकेट करती हूं। उन्होंने लगातार मेरे लिए प्रार्थना की। मैं अपने परिवार वालों को शुक्रिया अदा करना चाहती हूं। मेरी मां ने मेरे इस सफर में काफी साथ दिया।
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