15 अगस्त पर कुछ कविताएँ | Poem on Independence Day 15 August

हेलो दोस्तों, सबसे पहले आप सभी को nikhilvijayvargiya.com  की तरफ से स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं | हम सभी भारतियों के लिए स्वतंत्रता दिवस (Independence Day) का दिन बहुत ही खास दिन है | जैसा कि आप सभी जानते हो की 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन  हमारा अपना भारत देश ब्रिटिश शासन की गुलामी से आजाद हुआ था | इसलिए इस दिन को आजादी दिवस के रूप में भी मनाया जाता है | इस शुभ दिन के अवसर पर आप सभी के साथ 15 अगस्त पर कुछ कविताएँ Poem on Independence Day in Hindi Language  मैं शेयर कर रहा हूं | यह कुछ कविताएं आपके अंदर एक नई ऊर्जा,  साहस, और जोश उत्पन्न करेगी, तो आईये कविता पढ़ना स्टार्ट करते हैं ||

Nikhil Vijayvargiya

15 August Poem – विजयी विश्व तिरंगा प्यारा

 

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा

झंडा ऊँचा रहे हमारा ||

सदा शक्ति बरसाने वाला

प्रेम सुधा सरसाने वाला

वीरों को हर्षाने वाला

मातृभूमि का तन-मन सारा

झंडा ऊँचा रहे हमारा ||

 

स्वतंत्रता के भीषण रण में

लखकर जोश बढ़े क्षण-क्षण में

काँपे शत्रु देखकर मन में

मिट जाये भय संकट सारा

झंडा ऊँचा रहे हमारा ||

 

इस झंडे के नीचे निर्भय

हो स्वराज जनता का निश्चय

बोलो भारत माता की जय

स्वतंत्रता ही ध्येय हमारा

झंडा ऊँचा रहे हमारा ||

 

आओ प्यारे वीरों आओ

देश-जाति पर बलि-बलि जाओ

एक साथ सब मिलकर गाओ

प्यारा भारत देश हमारा

झंडा ऊँचा रहे हमारा ||

 

इसकी शान न जाने पावे

चाहे जान भले ही जावे

विश्व-विजय करके दिखलावे

तब होवे प्रण-पूर्ण हमारा

झंडा ऊँचा रहे हमारा ||

                                                                                   – श्यामलाल गुप्त पार्षद

15 August Poem – भारत देश हमारा प्यारा

भारत देश हमारा प्यारा

सारे विश्व में हैं न्यारा।

अलग अलग हैं यहाँ रूप रंग

पर सभी एक सुर में गाते।

झेंडा ऊँचा रहे हमारा

हर परदेश की अलग जुबान।

पर मिठास की उनमे शान

अनेकता में एकता पिरोकर।

सबने मिल जुल कर देश संवारा

लगा रहा हैं भारत सारा

हम सब एक हैं का नारा ।।

 

15 August Poem – देश मेरा यह सबसे न्यारा

देश मेरा यह सबसे न्यारा,
कितना सुंदर, कितना प्यारा|

पर्वत ऊँचे ऊँचे इसके,
करते हैं रखवाली|

लंबी लंबी नदियाँ इसकी,
फैलाएँ हरियाली|

देश मेरा यह सबसे न्यारा,
कितना सुंदर, कितना प्यारा|

झर-झर करते निर्मल झरने,
गीत ख़ुशी के गाएं|

सर सर करती हवा चले तो,
पेड़ खड़े लहराए…

देश मेरा यह सबसे न्यारा,
कितना सुंदर, कितना प्यारा|

बारी-बारी रितुए आतीं,
अपनी छटा दिखलाती|

फल-फूलों से भरे बगीचे,
चिड़ियाँ मीठे गीत सुनाती|

देश मेरा यह सबसे न्यारा,
कितना सुंदर, कितना प्यारा|

कितना प्यारा देश हमारा,
सबको है यह भाता|

इस धरती का बच्चा-बच्चा,
गुन इसके है गाता|

देश मेरा यह सबसे न्यारा
कितना सुंदर, कितना प्यारा ||

 

Nikhil Vijayvargiya

 

Independence Day Poems in Hindi – स्वतंत्रता दिवस की कविताएँ

आज तिरंगा लहराता है अपनी पूरी शान से,
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से||

आज़ादी के लिए हमारी लंबी चली लड़ाई थी,
लाखों लोगों ने प्राणों से कीमत बड़ी चुकाई थी||

व्यापारी बनकर आए और छल से हम पर राज किया,
हमको आपस में लड़वाने की नीति अपनाई थी||

हमने अपना गौरव पाया, अपने स्वाभिमान से,
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से||

गांधी, तिलक, सुभाष, जवाहर जी का प्यारा यह देश है,
जियो और जीने दो का सबको देता संदेश है||

प्रहरी बनकर खड़ा हिमालय जिसके उत्तर द्वार पर,
हिंद महासागर दक्षिण में इसके लिए विशेष है||

लगी गूँजने दसों दिशाएँ वीरों के यशगान से,
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से||

हमें हमारी मातृभूमि से इतना मिला दुलार है,
उसके आँचल की छैयाँ से छोटा ये संसार है||

हम न कभी हिंसा के आगे अपना शीश झुकाएँगे,
सच पूछो तो पूरा विश्व हमारा ही परिवार है||

विश्वशांति की चली हवाएँ अपने हिंदुस्तान से,
हमें मिली आज़ादी वीर शहीदों के बलिदान से||

                                                                                              – सजीवन मयंक

Poem On Independence Day – 15 august kids poem

देखो बच्चों यह झंडा प्यारा,
तीनों रंगों का मेल सारा|

रहे सदा यह झंडा ऊंचा,
आकाश को रहे यह छूता|

सदा करो तुम इसका मान,
कभी ना करना इसका अपमान|

झंडा ही है देश की शान,
बना रहे है यह सदा महान||

Poem on Independence Day – सारे जहाँ से अच्छा

सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा,
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिस्ताँ हमारा||

ग़ुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में,
समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा||

परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का,
वो संतरी हमारा, वो पासबाँ हमारा||

गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियाँ,
गुलशन है जिसके दम से, रश्क-ए-जिनाँ हमारा||

ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा, वो दिन है याद तुझको,
उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा||

मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना,
हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा||

सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा,
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिस्ताँ हमारा||

                                                                                            – मुहम्मद इक़बाल

 

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Nikhil Vijayvargiya

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