आखिरी पड़ाव – Moral Story in Hindi

दोस्तों आज के इस लेख में बताने वाला हूं सफलता के आखिरी पड़ाव के बारे में, बहुत से लोग अपनी मंजिल के करीब होकर, अपने लक्ष्य के निकट पहुंच कर, अपना धैर्य खो देते हैं, असावधानी बरतते हैं जिसके कारण सफलता पाने से चूक जाते हैं असफल हो जाते हैं | तो दोस्तों हम सफलता के आखिरी पड़ाव में ऐसा क्या करें जिसके कारण से हम सफल हो जाए, हम अपनी मंजिल तक पहुंच जाए आइये इसे में एक छोटी सी स्टोरी के माध्यम से समझाता हूं |

Nikhil Vijayvargiya

Short moral stories in hindi

जंगल के आसपास रहने वाले ग्रामीण लोगों पर हर समय जंगली जानवर का खतरा बना रहता था, खासतौर पर जो युवक जंगलों में लकड़ी चुनने जाते थे उन पर बाघ (शेर) कोई भी जानवर कभी भी हमला कर सकते थे, इसी वजह के कारण गांव के युवा लोग, पेड़ों पर तेजी से चढ़ने वह उतरने की ट्रेनिंग (training) लिया करते थे | और ट्रेनिंग गांव की एक बुजुर्ग आदमी दिया करते थे जो अपने समय में इस कला के महारथी माने जाते थे और आदरपूर्वक सभी उन्हें गुरुजी – गुरुजी कहकर बोला करते थे |

गुरुजी कुछ महीनों से गांव के कुछ युवाओं को पेड़ों पर तेजी से चढ़ने और उतरने की बारीकियां सिखा रहे थे फिर गुरुजी बोले – आज आपकी ट्रेनिंग का अंतिम दिन है तो मैं चाहता हूं आप सब एक एक बार इस लम्बे विशाल पेड़ पर तेजी से चढ़कर और उतर कर दिखाएं |

सभी युवक अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए तैयार हो गए – .

पहले युवक ने तेजी से पेड़ पर चढ़ना शुरू किया और देखते – देखते पेड़ की सबसे ऊँची शाखा पर पहुँच गया, फिर उसने उतरना शुरू किया, और जब वो लगभग पेड़ से आधा उतर आया तो गुरुजी बोले, “सावधान , थोड़ा संभल कर, आराम से उतरो …क़ोइ जल्दबाजी नहीं ” और वह युवक सावधानी पूर्वक नीचे उतर आया |

इसी तरह बाकी के युवक भी पेड़ पर चढ़े और उतरे , और हर बार गुरुजी ने पेड़ से आधा उतर आने के बाद ही उन्हें सावधान (alert) रहने को कहा .

यह बात सभी युवकों को थोड़ी अजीब लगी, और उन्ही में से एक ने पुछा, गुरुजी हमें आपकी एक बात समझ में नहीं आई , पेड़ का सबसे कठिन हिस्सा तो एकदम ऊपर वाला था, जहाँ पे चढ़ना और उतरना दोनों ही बहुत मुश्किल था ,आपने तब हमें सावधान होने के लिए नहीं कहा, पर जब हम पेड़ का आधा हिस्सा उतर आये और बाकी हिस्सा उतरना बिलकुल आसान था तभी आपने हमें सावधान होने के निर्देश क्यों दिए ?

गुरुजी बोले – यह तो हम सब जानते हैं कि ऊपर का हिस्सा सबसे कठिन होता है, इसलिए वहां पर हम सब, खुद ही सतर्क हो जाते हैं और पूरी सावधानी बरतते हैं. लेकिन जब हम अपने लक्ष्य के करीब पहुँचने लगते हैं तो वह हमें बहुत ही आसान लगने लगता है, हम जोश में होते हैं और आत्मविश्वास (self confidence) से भर जाते हैं और इसी समय सबसे अधिक गलती होने की सम्भावना होती है… यही कारण है कि मैंने तुम लोगों को आधा पेड़ उतर आने के बाद सावधान किया ताकि तुम अपनी मंजिल के निकट आकर कोई गलती न कर बैठो |

सभी युवक गुरुजी की बात समझ गए,और उनकी बात से सहमत हुए, –

तो दोस्तों , इस लेख से यह सिख मिलती है की सफल होने के लिए लक्ष्य निर्धारित करना जरूरी है, और उससे भी बहुत ज़रूरी ये है कि जब हम अपने लक्ष्य को हासिल करने के करीब पहुँच जाएँ, मंजिल को सामने पायें तो कोई जल्दबाजी न करें और पूरे धैर्य के साथ अपने कदम आगे बढ़ाएं. बहुत से लोग लक्ष्य के निकट पहुंच कर अपना धैर्य खो देते हैं और गलतियां कर बैठते हैं जिस कारण वे अपने लक्ष्य से चूक जाते हैं. इसलिए लक्ष्य के आखिरी पड़ाव पर पहुँच कर, किसी तरह की असावधानी मत बरतिए, गलती मत कीजिये और लक्ष्य प्राप्त कर के ही दम लीजिये |

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Nikhil Vijayvargiya

This Nikhil Vijayvargiya. A Motivational Blogger.

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