हाँ मुझको एक ऐसे साथ की जरूरत है
जो मुझे कभी टूटने ना दे,
जिंदगी से मुझे रूठने ना दे।।
हर कोई छोड़ दें साथ मेरा,
वो अपना हाथ छूटने ना दे।।
जो कहे मुझसे घबराना मत,
जो कहे मुझसे हार जाना मत।।
दर्द मिलेंगे तुमको हजारों अभी,
आंखों में आँसू कभी लाना मत।।
जो मेरे हारने पर भी हाथ थाम ले,
मेरे दिल का दर्द बिन कहे पहचान ले।।
हो जाऊं गुमनाम मैं इस दुनिया में,
लेकिन वो बहुत प्यार से मेरा नाम ले।।
हाँ मुझको एक ऐसे साथ की जरूरत है।।
ज़िन्दगी जीने के लिये भी वक्त नहीं
हर खुशी है लोगों के दामन में,
पर एक हँसी के लिये वक्त नहीं।
दिन रात दौड़ती दुनिया में,
ज़िन्दगी के लिये ही वक्त नहीं।।
माँ की लोरी का एहसास तो है,
पर माँ को माँ कहने का वक्त नहीं।
सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,
अब उन्हें दफनाने का भी वक्त नहीं।।
सारे नाम मोबाईल में है,
पर दोस्ती के लिये वक्त नहीं।
गैरों की क्या बात करें,
जब अपनों के लिये ही वक्त नहीं।।
आँखों में है जींद बड़ी,
पर सोने का वक्त नहीं।
दिल है गमों से भरा हुआ,
पर रोने का भी वक्त नहीं।।
पैसों की दौड़ में ऐसे दौंड़े,
कि थकने का भी वक्त नहीं।
पराये एहसानों की क्या कद्र करें,
जब अपने सपनों के लिये ही वक्त नहीं।।
तु ही बता ए ज़िन्दगी,
इस ज़िन्दगी का क्या होगा?
कि हर पल मरने वालों को,
जीने के लिये भी वक्त नहीं…।।
अभी, बहुत कुछ पाना बाकी हैं
गुजर रही है उम्र,
पर जीना अभी बाकी हैं।।
जिन हालातों ने पटका है जमीन पर,
उन्हें उठकर जवाब देना अभी बाकी हैं।।
चल रहा हूँ मन्जिल के सफर मैं,
मन्जिल को पाना अभी बाकी हैं।।
कर लेने दो लोगों को चर्चे मेरी हार के,
कामयाबी का शोर मचाना अभी बाकी है।।
वक्त को करने दो अपनी मनमानी,
मेरा वक्त आना अभी बाकी है।।
कर रहे है सवाल मुझे जो loserसमझ कर,
उन सबको जवाब देना अभी बाकी है।।
निभा रहा हूँ अपना किरदार जिदंगी के मंच पर,
परदा गिरते ही तालीयाँ बजना अभी बाकी है।।
कुछ नहीं गया हाथ से अभी तो, दोस्तों,
बहुत कुछ पाना बाकी हैं।।
ऐसे ही जिये जाने को दिल करता है
कभी अपनी हंसी पर आता है गुस्सा,
कभी सारे जहां की हंसाने का दिल करता है।।
कभी छुपा लेते है गम की दिल के किसी कोने में,
कभी किसी को सब कुछ सुनाने का दिल करता है।।
कभी रोते नही लाख दुःख आने पर भी,
और कभी यूँ ही आंसू बहाने को दिल करता है।
कभी अच्छा सा लगता है आज़ाद घूमना,
लेकिन कभी किसी की बाहीं में सिमट जाने को दिल करता है।।
कभी कभी सोचते है नया हो कुछ जिंदगी में,
और कभी बस ऐसे ही जिये जाने को दिल करता है।।
हम हर रोज़ बेवजह मरते जा रहे हैं
लोग क्या कहेंगे – इस बात पर हम,
कुछ यूँ उलझते जा रहे हैं।।
दिल कुछ और करना चाहता है,
हम कुछ और ही करते जा रहे हैं।।
सोचते हैं वक़्त बहुत है हमारे पास,
इतनी भी क्या जल्दी पड़ी है।।
अभी औरों के हिसाब से चल लें,
ख़ुद के लिए तो सारी उम्र पड़ी है।।
दिल और दिमाग़ की इसी कश्मकश में,
ज़िन्दगी के पन्ने बड़ी रफ़्तार से पलटटे जा रहे हैं।।
उतना तो हम जिये ही नहीं अभी तक,
जितना हम हर रोज़ बेवजह मरते जा रहे हैं।।
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