दोस्तों आज के इस लेख में बताने वाला हूँ रास्ते कभी खत्म नहीं होते बस हम लोग हिम्मत हार जाते हैं आइए आपको इसे एक छोटी सी कहानी के माध्यम से बताता हूं|
आयुष नाम का एक लड़का, जो कि एक मिडल क्लास फैमिली से बिलॉन्ग करता था बहुत आज्ञाकारी था, मेहनती था, और बहुत ही इंटेलिजेंट स्टूडेंट था | लेकिन स्कूल की पढाई पूरी करने के बाद जैसे ही आयुष कॉलेज (college) में गया तो उसका व्यवहार (behaviour) अचानक से बदलने लगा | पढ़ाई में मेहनत करनी बंद कर दी, बड़ों की बात सुनना बंद कर दिया यहां तक कि कई बातों में वह झूठ भी बोलने लगा | हर कोई उसके इस व्यवहार से चिंतित था और जब यह जानने और समझने की कोशिश की गई तो पता चला कि आयुष गलत संगति में है |
सभी लोगों ने आयुष को समझाया और इस गलत संगति को छोड़ने के लिए कहा – लेकिन आयुष पर इसका कोई असर नहीं हुआ वो तो बस यह बोल देता था कि मुझे मेरा अच्छा और बुरा पता है और भले ही मेरे दोस्त कैसे भी हो लेकिन उनका असर मुझ पर नहीं पड़ेगा | काफी लोग परेशान हुए, साथ ही धीरे-धीरे समय आगे बढ़ता रहा और परीक्षाओं (exam) का समय भी आ गया | परीक्षा के समय आयुष ने कुछ मेहनत तो की लेकिन वह उतनी मेहनत नहीं कर पाया जितनी कि वह कर सकता था,और उसके बाद जैसे ही एग्जाम का रिजल्ट आया तो पता चला की वह दो सब्जेक्ट में फेल (Fail) हो गया |
जो आयुष हमेशा बहुत अच्छे मार्क्स से पास होता था और अब वह दो सब्जेक्ट में फेल |
यह उसके लिए किसी जोरदार झटके से कम नहीं था क्योकि रिजल्ट की निराशा, और उसका गम आयुष के ऊपर इस तरह से हुआ कि उसने सभी से बात करना बंद कर दी खुद को एक कमरे में बंद कर लिया अकेले रहने लगा बेचैन होने लगा | लेकिन सबने उसे खूब समझाया कि आयुष यह रिजल्ट आखरी रिजल्ट नहीं है इसे भूल जाओ… और आगे की तैयारी करो, मगर आयुष के रिएक्शन ऐसे थे कि जैसे कि वह फेल होने के गम से ऊपर उठ ही नहीं पा रहा था |
अब उसकी स्कूल के जो प्रिंसिपल थे उनके फेवरेट स्टूडेंट में से था आयुष, उन्हें उसकी हालत के बारे मैं जानकर बहुत दुख हुआ | फिर उन्होंने कुछ सोचा, और एक दिन आयुष को अपने घर बुलाया | जब घर पहुंचा तो उसने देखा कि प्रिंसिपल साहब अंगीठी (brazier) ताप रहे हैं और जाकर चुपचाप उनके पास बैठ गया और फिर लगभग 20 मिनट तक चुपचाप बैठे रहा, ना प्रिंसिपल साहब कुछ बोले ना आयुष्य बोला | फिर प्रिंसिपल साहब उठे और चिमटी से अंगीठी में से एक कोयला (coal) का टुकड़ा उठाया और उठाकर उसे मिट्टी पर डाल दिया अब कोयले का जलता हुआ टुकड़ा मिट्टी पर रखने के बाद थोड़ी देर तक तो गर्मी करता रहा, लेकिन थोड़ी देर बाद वह भुज गया और गर्माहट भी खत्म हो गई |
आयुष को यह सब अजीब लगा लेकिन उत्सुक होकर उसने पूछा – आपने यह सब क्यों किया उस कोयले को अंगीठी में से निकाल कर मिट्टी में रख दिया अब तो बेकार हो गया | प्रिंसिपल साहब मुस्कुराए और वापिस उस कोयले के टुकड़े को उठाकर उस अंगीठी में डाल दिया जहां सभी कोयले जल रहे थे | तो पता है क्या हुआ अंगीठी में जाने के बाद वह कोयला फिर से जलने लगा और और फिर से गर्मी देने लगा | और प्रिंसिपल ने आयुष से कहा – कुछ समझे आयुष |
कि तुम भी इसी कोयले की टुकड़े की तरह हो क्योंकि जब तुम अच्छी संगति में थे जब अच्छी तरह से पढ़ते थे अच्छा रिजल्ट आता था हर कोई तुम्हें पसंद (like) करता था | कुछ दिन के लिए तुम गलत संगति में चले गए तो इसका मतलब यह नहीं कि तुम बेकार हो गए हो अगर तुम दोबारा अच्छी संगति में आ जाओ, सही आचरण को फॉलो (follow) करने लग जाओ तो फिर तुम वापस से वही आयुष बन सकते हो |
हम सभी को यह बात बिल्कुल नहीं भूलनी चाहिए कि हमारे अंदर असीम शक्ति है क्योंकि हमारे अंदर वह शक्ति है जो बड़ी से बड़ी हार को भी जीत में बदल सकती है तो दोस्तों कोई भी छोटी या बड़ी हार आपकी लाइफ को डिफाइन नहीं कर सकती है आप इसे दोबारा जीत में बदल सकते हैं इसलिए मैंने कहा है कि रास्ते कभी खत्म नहीं होते बस हम हिम्मत हार जाते हैं | तो दोस्तों हिम्मत मत हारिये , और आगे बढ़ते रहिए ।।
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1 Comment
Rahul Agarwal
(May 11, 2020 - 3:21 am)I liked this Moral story very much.