दोस्तों आज मैं आपके साथ Share कर रहा हूँ एक ऐसी छोटी सी कहानी जिसमे बताया गया है की हम बिज़नेस, परिवार या फिर किसी और में काम में इतने बिजी रहते है की हम अपना खुद का ख्याल नहीं रख पाते तो ऐसा करना हमारे लिए कितना नुक्सान दायक है, ऐसा क्या करे हम की खुद भी खुश रह सके और साथ में सब को खुश रख सके तो इसलिए इस छोटी सी कहानी को पूरा पढ़िए |
बहुत समय पहले की बात है एक गाँव में रामू नाम का एक मोची रहता था, पैसा कम होने के कारण उसके साथ के लोग यह काम छोड़ चुके थे लेकिन रामू बड़ी तसल्ली से गाँव के लोगों के जूते-चप्पलों की मरम्मत करता था |
आस-पास के कई गाँवो में एक मात्र मोची होने के कारण उसके पास काम की कोई कमी नहीं रहती थी, दूर-दूर से लोग अपने पुराने फटे हुए जूते-चप्पल बनवाने पहुँचते थे, और रामू भी बड़ी लगन से अपने ग्राहकों को समय देता और उनका काम पूरा कर देता, पर इन सबके बीच वह अपने ही पुराने हो रहे जूतों की ओर ध्यान नहीं देता |
समय बीतता गया… रामू दुनिया भर के जूतों को चमकाता रहा और उसके अपने जूते ही घिसते-घिसते खराब होते रहे.
कुछ लोग उसे जूतों के लिए टोकते भी, पर वो हर बार यही कह के टाल देता कि…
पहले ग्राहकों के जूते तो बना लूँ फिर अपने भी बना लूँगा |
ऐसा करते-करते जूते इतने खराब हो गए कि अब वे उसके के पैरों को तकलीफ देने लगे, ध्यान ना देने के कारण रामू के पैरों में घाव हो गया |
जब लोग उसे इसके लिए कुछ बोलते तो वह कहता-
अरे बस हलकी सी चोट है, ठीक हो जायेगी आप चिंता ना करें |
लापरवाही के कारण कुछ महीनों बाद रामू के पैर इतने खराब हो गए कि वह लंगड़ा-लंगड़ा कर चलने लगा, काफी दर्द होने पर उस गांव के लोग उसे शहर के हॉस्पिटल ले गए |
पता चला कि रामू को कुछ महीनों पहले शुरू हुआ एक छोटा सा घाव अब रामु के लिए बहुत बड़ी समस्या बन चुका है.
डॉक्टर्स के पास भी कोई विकल्प नहीं था, उन्हें रामू का दाया पैर घुटने के नीचे से काटना पड़ा, इस घटना से हुई मुश्किलो के कारण रामू कभी भी अपने काम पर नहीं लौटा और आज उसकी वजह से पूरा गाँव ही फटे-पुराने जूते-चप्पल पहनने को मजबूर था |
तो दोस्तों क्या आप अपने परिवार, अपने बिजनेस या किसी और चीज का ध्यान रखने में इतने बिजी तो नहीं हैं कि आप अपना खुद का ख्याल ही नहीं रखते ?
क्या आप इस character रामू को identify कर पा रहे हैं? क्या आपकी लाइफ में भी कोई है जो रामू की तरह behave कर रहा है…या कहीं आप खुद ही रामू तो?
मैंने देखा है कि अक्सर माँ ऐसा करती हैं, वे अपने बच्चों अपने परिवार की खूब care करती हैं पर खुद के खान-पान और सेहत पर ध्यान ही नहीं देतीं |
ऐसा करना एक पल के लिए आपको अच्छा एहसास दे सकता है कि आप selfless होकर अपने अपनों के लिए त्याग कर रहे हैं, but ये लॉन्ग टाइम के लिए सही नहीं है ना आपके चाहने वालो के लिए, और ना हे आप के लिए |
आप ठीक रहंगे तभी औरसब ठीक रहेगा इसलिए खुद को neglect करने की इस आदत को छोड़िये और खुद पर bhi ध्यान देना शुरू करिए… रामू की तरह सबकी तकलीफ का कारण मत बनिए बल्कि वो शक्ति बनिए जिस से आप सबकी तकलीफ दूर कर सके ||
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