कोई भी जीत या हार जिंदगी से ज्यादा कीमती नहीं

भारत की स्टार महिला पहलवान बबीता फोगाट और गीता फोगाट की ममेरी बहन रितिका फोगाट ने एक कुश्ती टूर्नामेंट में फाइनल मैच हारने के बाद आत्महत्या कर ली है। उनके इस कदम से राष्ट्रमंडल खेलों-2010 में भारत को महिला वर्ग में कुश्ती में पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाली गीता फोगाट बेहद दुखी हैं और उन्होंने कहा है कि हार-जीत खिलाड़ी के जीवन का हिस्सा होता है और किसी भी खिलाड़ी को ऐसे कदम नहीं उठाना चाहिए। जानकारी के मुताबिक रितिका स्टेट चैंपियन की फाइनल मुकाबले में महज 1 पॉइंट से हार गई थी माना जा रहा है इसी हार की निराशा में होकर उन्होंने अपनी जान ले ली।

Full NameRitika Phogat
Nick NameRitika
ProfessionWrestler
Popular forPhogat Sister
Date Of Birth25 March 2004
NationalityIndian
ReligionHindu

किसी भी खिलाड़ी के लिए हारना के बाद निराशा होना लाजमी है, लेकिन यदि कोई खिलाड़ी किसी हार पचा नहीं पाता, वह डिप्रेशन में आ जाता है और आत्महत्या जैसे बड़े कदम उठाता है तो यह हम सबके लिए एक अलार्म है।

17 वर्षीय पहलवान रितिका फोगाट का कैरियर अभी आगे बढ़ना शुरू ही हुआ था लेकिन हाल ही में फाइनल में मिली हार ने उसे इस कदर तोड़ दिया कि उसने मौत को अपने गले लगा लिया। इस हादसे के बाद खेल फेडरेशन, कोच और यहां तक कि खिलाड़ी और उनके माता-पिता को भी समझ लेना चाहिए की मानसिक स्वास्थ्य, शारीरिक इंजरी से कहीं ज्यादा खतरनाक इंजरी है।

Ritika Phogat

क्योंकि शारीरिक इंजरी तो कुछ दिनों में ठीक हो सकती है लेकिन मानसिक इंजरी खिलाड़ी का करियर ही नहीं बल्कि उसकी निजी जिंदगी को भी खत्म कर सकती है। ऐसे में अब खिलाड़ियों को नए सिरे से तैयार करने की जरूरत है। खिलाड़ियों को समझना होगा कि कोई भी जीत और हार जिंदगी से ज्यादा कीमती नहीं हो सकती।

आज के दौर में सभी कोच और टीम मैनेजमेंट खिलाड़ियों को सिर्फ जीत का हुनर सिखाते हैं लेकिन अब खिलाड़ियों को सिखाना होगा की बड़ी से बड़ी हार को कैसे पचाया जाए और हार के डर को बाहर निकाला जाए।

इसके साथ ही समाज और परिवार को भी सिखाना होगा कि हार सिर्फ खेल का एक छोटा सा हिस्सा है। इसलिए किसी भी खिलाड़ियों पर उम्मीदों का इतना भार ना लादा जाए कि वह उस दबाव से निकल ही ना पाए। हम सभी को खेल का ऐसा ढांचा तैयार करना होगा जहां खिलाड़ी हार और जीत को न सोचकर सिर्फ अपना 100% प्रदर्शन करने की सोच के साथ मैदान पर उतरे. जब हम सभी की मानसिकता खेल को सिर्फ खेल की तरह ही देखने की होगी और खिलाड़ी सिर्फ खेल का लुफ्त उठाने के इरादे से मैदान पर उतरेगा तो फिर कभी कोई रितिका फांसी के फंदे पर नहीं झूलेगी।

Nikhil Vijayvargiya

This Nikhil Vijayvargiya. A Motivational Blogger.

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